पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग  स्‍कंध – नौवहन, समुद्री विकास, पोत निर्माण, पोत मरम्‍मत और पोत भंजन उद्योग के लिए नीतियां एवं योजनाएं तैयार करता है। भारतीय पोत परिवहन उद्योग ने पिछले कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के परिवहन क्षेत्र में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो कच्‍चे तेल, पेट्रोलियम उत्‍पादों और अन्‍य कार्गो के लिए परिवहन का एक आवश्‍यक साधन प्रदान करता है। देश के व्‍यापार का मात्रा की दृष्टि से लगभग 95% और मूल्य की दृष्टि से 68%  हिस्सा समुद्री परिवहन के माध्‍यम से स्‍थानांतरित किया जाता है।

पोत परिहवन स्‍कंध में निम्‍नलिखित क्षेत्र शामिल हैं

पोत निर्माण, पोत मरम्मत और पोत भंजन क्षेत्र

पूरे पोत निर्माण और पोत मरम्‍मत उद्योग की नोडल जिम्‍मेदारी पोत परिवहन मंत्रालय को सौंपी गई है। देश में कुल 28 शिपयार्ड हैं, जिनमें से 6 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन 2 राज्‍य सरकारों के अधीन और 20 निजी क्षेत्र के उपक्रमों के अधीन हैं....... आगे पढ़ें

समुद्री प्रशासन

नौवहन महानिदेशालय : नौवहन महानिदेशालय, पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार का एक संबंद्ध कार्यालय है। और यह वाणिज्‍य पोत परिवहन से संबंधित सभी कार्यकारी मामलों से निपटान करता है। वर्ष 1947 में भारत सरकार ने इस उद्योग के संपूर्ण विकास का लक्ष्य रखते हुए पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग  पर राष्‍ट्रीय नीति की घोषणा की थी। विकासात्‍मक प्रयासों को बढाने के लिए, एक केन्‍द्रीकृत प्रशासनिक संगठन की आवश्‍यकता महसूस की गई और तदनुसार, सितंबर 1949 में नौवहन महानिदेशालय की स्थापना की गई जिसका प्रधान कार्यालय मुंबई में स्‍थापित किया गया ..... आगे पढ़ें

मैरीन जनरल

तटीय पोत परिवहन / Coastal Shipping:  तटीय पोत परिवहन ईधन कुशल, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का माध्‍यम है। कम अवधि में किफायती लागत पर अधिक मात्रा में भार की आवाजाही करने की इसकी योग्यता सड़क और रेल पर यातायात के भार को कम कर देती है। रेल द्वारा 1.2-1.5 प्रति टन किमी और सड़क द्वारा 2.0-3.0 प्रति टन कि.मी. की तुलना में जलमार्गों से किए जाने वाले परिवहन की लागत, मात्र 0.2-0.3 प्रति टन कि.मी. ही होती है। इससे तटीय पोत परिवहन परिवहन के अन्‍य माध्‍यमों की तुलना में अलग रूप से तुलनात्‍मक लाभ प्राप्त होता है।

क्रूज पोत परिवहन / Cruise Shipping : क्रूज पोत परिवहन, दुनिया में फैले लैजर उद्योग का सबसे गतिशील और तेजी से बढ़ने वाला घटक है। क्रूज पोत एक चलती फिरती नगरी के समान है जो अत्‍याधुनिक सुविधाओं और विभिन्‍न मनोरंजन संबंधी गतिविधियों से लैस है। क्रूज पर्यटन से महत्वपूर्ण क्षेत्रीय विकास और उसके आस-पास के वातावरण से जुड़ी सेवाओं का विकास होता है। पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है तथा प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष दोनों प्रकार के रोजगार का सृजन होता है। सरकार का विजन है कि भारत को महासागर और नदी क्रूजों दोनों को वैश्‍विक क्रूज बाजार पर रखा जाए ...... आगे पढ़ें

 

समुद्री प्रशिक्षण  

भारतीय समुद्री विश्‍वविद्यालय : भारतीय समुद्री विश्‍वविद्यालय दिनांक 14 नवंबर 2008 को एक केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के रूप में संसद के अधिनियम (अधिनियम 22) के माध्‍यम से अस्‍तित्‍व में आया और समुद्री क्षेत्र के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए तैयार है। प्रत्‍येक वर्ष 14 नवंबर को ‘आईएमयू दिवस’ के रूप में मनाया जाता है....... आगे पढ़ें

समुद्री विकास

समुद्री क्षेत्र: पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग उद्योग सर्वाधिक वैश्‍विक उद्योगों में से एक है जिसका परिचालन अत्‍यधिक प्रतिस्‍पार्धात्‍मक व्‍यापारिक वातावरण में किया जाता है जो कि अन्‍य उद्योगों की तुलना में कहीं अधिक उदारीकृत है और इसलिए यह घनिष्‍ठता से दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था और व्‍यापार से जुड़ा हुआ है। पोत परिवहन भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के परिवहन क्षेत्र में विशेष रूप से एक्‍जिम व्‍यापार में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश में मात्रा की दृष्‍टि से लगभग 95% तथा मूल्‍य की दृष्‍टि से 68% हिस्‍से का व्‍यापार समुद्र द्वारा लाया-ले जाया जाता है।

स्‍वतंत्रता की पूर्व संध्‍या पर भारत का नौवहन टनेज केवल 1.92 लाख सकल टनेज (जी टी) था। विकासशील देशों के बीच अब भारत के पास सबसे विशाल वाणिज्‍य पोत परिवहन बेड़ा है तथा 30 अप्रैल, 2019 के अनुसार 12.79 मिलियन जी टी को 1411 जलयान ले जाने वाले विशालतम  कार्गो बेड़े तथा इसकी औसत आयु 18.03 वर्ष होने के साथ यह सभी देशों के बीच 17वें स्‍थान पर है। भारतीय समुद्री क्षेत्र न केवल राष्‍ट्रीय एवं अंतराष्‍ट्रीय कार्गो के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है बल्‍कि कार्गो संभलाई सेवाओं, पोत निर्माण और पोत मरम्‍मत, फ्रेट अग्रेषण, दीपस्‍तंभ सुविधाएं, समुद्री कार्मिकों का प्रशिक्षण आदि जैसी अन्‍य विविध प्रकार की सेवाएं भी उपलब्‍ध कराता है।

देश के ओवरसीज/ विदेशी व्‍यापार को चलाने में आत्‍मनिर्भरता बढ़ाना और एक्‍जिम व्‍यापार में हितधारकों के हितों को सुरक्षित रखने में राष्‍ट्रीय पोत परिवहन को बढ़़ावा देना, भारत के पोत परिवहन नीति की मुख्‍य विशेषताएं हैं। कच्‍चे तेल और पेट्रोलियम उत्‍पाद आयातों के लिए भारत का राष्‍ट्रीय फ्लैग-शिप आवश्‍यक परिवहन माध्‍यम प्रदान करता है। राष्‍ट्रीय पोत परिवहन, देश को विदेशी मुद्रा की कमाई के लिए एक महत्‍वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।

प्रतिस्‍पर्धात्‍मक ढ़ाचे में भारतीय समुद्री क्षेत्र को सुदृढ़ और बढ़ावा देने की सरकार की नीति को ध्‍यान में रखते हुए, पोत परिवहन मंत्रालय ने इस क्षेत्र की कमियों को पूरा करने के लिए न्‍यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के लिए कई सुधारों की शुरूआत की है।

दीपस्‍तंभ

 दीपस्‍तंभ : दीपस्‍तंभो का इतिहास टावरों, भवनों या अन्‍य प्रकार की संरचनाओं के उपयोग संबंधी विकास को दर्शाता है जो कि समुद्र या अंतर्देशीय जलमार्गों पर समुद्री पायलटों के लिए नौचालन की सहायताएं प्रदान करता है। दीपस्‍ंतभ के आधुनिक युग की शुरूआत 18वीं शताब्‍दी में हुई थी। संरचनात्‍मक इंजिनियरिंग तथा नए एवं कुशल प्रकाश उपकरणों में आधुनिक तकनीकों को अपनाया गया ताकि समुद्र उन्मुखी दीपस्‍तंभों सहित बड़े और अधिक शक्‍तिशाली दीपस्‍तंभों का सृजन किया जा सके। दीपस्‍तंभों का कार्य, चट्टानों अथवा रीफ जैसी पोत परिवहन संबंधी बाधाओं के प्रति प्रकट चेतावनी के प्रावधान के रूप में बदल गया...... आगे पढ़ें

 

जीएलएल / DGLL

डीजीएलएल ने दीपस्तंभों को पर्यटकों के लिए आकर्षण योग्य बनाने हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय प्रवृत्‍ति की तर्ज पर भारत की तटरेखा के साथ दीपस्‍तंभों पर पर्यटन के विकास हेतु प्रयास किया है, क्‍योंकि ये दर्शनीय स्‍थानों का मनोरम दृश्‍य प्रदान करते हैं। पर्यटन के विकास से मौजूदा दीपस्‍तंभों का पुनरूद्धार करेगा। डीजीएलएल द्वारा आरंभ की जाने वाली दीपस्‍तंभ-पर्यटन परियोजनाओं का ब्‍यौरा नीचे दिया गया है:-

 डीजीएलएल द्वारा अगले 10-18 महीनों में गुजरात के वेरावल, गोपनाथ और द्वारका दीपस्‍तंभों में पर्यटन परियोजनाओं का स्‍थानीय विकास।  सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के अंर्तगत तमिलनाडु में महाबलिपुरम दीपस्‍तंभ और मुदृम प्‍वाइंट दीपस्‍तंभ तथा केरल में कुड्डालूर प्‍वाइंट दीपस्‍तंभ परियोजनाओं का विकास किया जाएगा।

 

 

शुरू किए जाने वाले विभिन्‍न पर्यटन कार्यों में हाई एण्‍ड रेजार्ट, आयुर्वेदिक स्‍पा, साउंड एंड लाईट/लेजर शो, रेस्‍टोरेंट और कैफेटेरिया + वॉकवे, लैण्‍डस्‍केपिंग, फाउन्‍टेन, किओस्‍क, लिफ्ट, सोविनियर ऑउटलेट, डीजीएलएल संग्रहालय आदि शामिल हैं। 

 

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 

भारतीय नौवहन निगम लि. : भारतीय नौवहन निगम लि. (एससीआई), केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम (सीपीएसई) को मुंबई में अपने मुख्‍यालय के साथ दिनांक 02.10.1961 को निगमित किया गया। यह वर्ष 1992 से शेयर बाजार की सूची (बीएसई और एनएसई) में सम्मिलित कंपनी है। दिनांक 01.08.2008 को एससीआई को प्रतिष्ठित ‘नवरत्‍न’ उपाधि प्रदान की गई थी। एससीआई की प्राधिकृत शेयर पूंजी 1000 करोड़ रु. है, चुकता शेयर पूंजी 465 करोड़ रु. और भारत सरकार की धारिता 63.75% शेयर की है। एससीआई के पास 61 जलयान हैं, जो कुल 5.61 मिलियन डेड वैट टनेज (डीडब्‍ल्‍यूटी) है जोकि भारतीय टनेज का 30% बनता है। यह विभिन्‍न सरकारी एवं निजी संगठनों के 51 अन्‍य जलयानों का भी प्रबंधन करता है। यह भारत की सबसे विविधतापूर्ण नौवहन कंपनी है। एससीआई पीएसयू रिफाइनरियों के लिए लगभग 100% कच्‍चे तेल का तटीय वहन करता है और भारतीय बेड़ों द्वारा कच्‍चे तेल के 50% आयात का वहन करता है। भारतीय एक्सिम व्‍यापार को अंतर्राष्‍ट्रीय लाइनर सेवाएं प्रदान करने वाली यह एक मात्र भारतीय कंपनी है।

 

कोचिन शिपयार्ड लि. (सीएसएल) को पूर्ण रूप से भारत सरकार के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी के रूप में वर्ष 1972 में निगमित किया गया था। वित्‍त वर्ष 2018 में आईपीओ के और वित्‍त वर्ष 2019 में पुन:क्रय की प्रक्रिया पूरा होने के बाद भारत सरकार इस कंपनी में 75.21% इक्विटी शेयर पूंजी धारित करती है। पिछले चार दशकों में यह कंपनी भारतीय पोत निर्माण और पोत मरम्‍मत के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी के रूप में उभरी और वैश्विक पोत निर्माण क्षेत्र में भी जानी-मानी कंपनी बन गई। सीएसएल ने भारत के बाहर विभिन्‍न वाणिज्यिक ग्राहकों जैसे नैशनल पेट्रोलियम कन्‍स्‍ट्रक्‍शन कंपनी (अबु धाबी), द क्लिप्‍पर ग्रुप (बहामस), व्रून ऑफशोर (नीदरलैंड) और एसआईजीबीए एएस (नॉर्वे) को 45 पोत निर्यात किए हैं। यह यार्ड वर्तमान में भारतीय नौसेना के लिए प्रतिष्ठित स्‍वदेशी विमान वाहक का निर्माण कर रहा है। विश्‍व में इस आकार का विमानवाहक बनाने वाले देशों में भारत सिर्फ पांचवा देश है .......... आगे पढ़ें

 

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